‘धनखड़’ का ‘फुर्र’! क्या है उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का राज?

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने तीन साल के कार्यकाल को पूरा करने से पहले ही अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 23 जुलाई को दोपहर करीब 4 बजे, उनके कार्यालय ने जयपुर की आधिकारिक यात्रा की योजना की घोषणा की थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने राष्ट्रपति भवन में बिना किसी पूर्व सूचना के राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस अप्रत्याशित कदम ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है.

जस्टिस वर्मा के महाभियोग और इस्तीफे का कनेक्शन

इस्तीफे से ठीक पहले, जगदीप धनखड़ राज्यसभा में मौजूद थे, जहां उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग की मांग करने वाले 50 से अधिक विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षरित पत्र को स्वीकार किया. इस पत्र पर विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर थे, और धनखड़ ने इसे स्वीकार करते हुए महासचिव को मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया. कुछ ही समय बाद उनके इस्तीफे की खबर ने इस घटनाक्रम को और भी रहस्यमय बना दिया. कई लोगों का मानना है कि महाभियोग प्रक्रिया और उनके इस्तीफे के बीच कोई गहरा संबंध हो सकता है, हालाँकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

इस्तीफे की टाइमिंग पर उठते सवाल: सियासत या सेहत?

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग पर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या यह सेहत से जुड़ा मामला था, या इसके पीछे कोई गहरा सियासी दांव छिपा है? हाल के दिनों में, धनखड़ की कांग्रेस के कई विपक्षी नेताओं के साथ बढ़ती नजदीकियों की संसद के गलियारों में खूब चर्चा थी. उन्होंने पिछले सप्ताह वीपी एन्क्लेव में मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी, और रविवार को अरविंद केजरीवाल के साथ भी उनकी बैठक हुई थी. इसके अलावा, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एनजेएसी (NJAC) जैसी संस्था की वापसी के लिए उनका अभियान भी सरकार के साथ मेल नहीं खाता था. ये सभी घटनाक्रम उनके इस्तीफे को सिर्फ एक प्रशासनिक कदम से कहीं ज्यादा, एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में प्रस्तुत करते हैं.

कौन हैं जगदीप धनखड़? एक किसान से उपराष्ट्रपति तक का सफर

जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने 1979 में राजस्थान बार में दाखिला लिया और सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों में राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में अभ्यास किया. वे राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे. 1990 के दशक में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और जनता दल से झुंझुनू से लोकसभा सांसद चुने गए. उन्होंने चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 2003 में वे भाजपा में शामिल हो गए. 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उनका ममता बनर्जी सरकार के साथ अक्सर टकराव होता रहा.

उपराष्ट्रपति के रूप में उनका विवादास्पद कार्यकाल

जगदीप धनखड़ 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति चुने गए और उन्होंने 11 अगस्त 2022 को पद की शपथ ली. उनके नेतृत्व को अक्सर दृढ़ता और कभी-कभी पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण के लिए जाना गया. दिसंबर 2024 में विपक्षी दलों द्वारा उन पर एक अभूतपूर्व महाभियोग प्रस्ताव भी दायर किया गया था, जिससे उनके और विपक्ष के बीच के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे. जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के इस कदम से गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा था कि वे आहत महसूस कर रहे हैं. कुछ विपक्षी सांसदों, जैसे कि कल्याण बनर्जी, ने संसद के गेट पर धनखड़ की नकल की, जिससे उनके विपक्ष के साथ विवादास्पद संबंध और उजागर हुए.

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